भारत के रॉकेट चंद्रमा पर पहुँच गए हैं, बुलेट ट्रेन चलने वाली है, विकास की ओर चार कदम चलकर विकसित देश का तमगा भी मिलने वाला है. लेकिन क्या यही विकास है?
रांची, मरीज पालमती देवी, हाथों में पट्टी बंधी हुई, बिना प्लेट के फर्श पर खाना खाती हुई, क्या दोष है? गरीबी या नीची जाति या फिर संवेदनहीनता?
सरकारी अस्पताल “रिम्स” के हड्डी रोग वॉर्ड में एडमिट पालमती देवी के पास अपनी प्लेट नहीं थी. प्लेट मांगने पर अस्पताल के रसोईकर्मियों ने प्लेट की कमी बताते हुए प्लेट देने से मना कर दिया. इसके बाद वार्डबॉय ने मरीज से ही फर्श साफ़ कराया और चावल और सब्जी फर्श पर ही रख दी. गरीबी की मारी पालमती देवी फर्श पर ही खाना खाने को मजबूर हुई.
अभी कुछ दिन पहले ही दाना मांझी के साथ हुई घटना ने दुनिया के सामने देश का सिर नीचा कर दिया था, अब फिर से अस्पतालों की संवेदनहीनता सामने आयी है.
क्या यही देश का विकास है? देश के किसान और गरीबों की कोई सुनने वाला है भी या नहीं? भारत माता और गौ माता के बीच में हम सब अपनी माताओं को शायद भूल ही गए हैं.
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