Free Running या Parkour के बारे में शायद ही आपने सुना होगा, मगर इस समय इस कलाबाजी का क्रेज युवाओं में खूब देखने को मिल रहा है.
अमेरिका समेत अपने भारत में भी लोगो पर इसका बुखार धीरे-धीरे चढ़ रहा है. यह चीज़ ही ऐसी है अगर आप भी इसे देखेगे तो आपको ये कलाकारियां करने का मन करेगा. सबसे बड़ी बात Parkour करना कोई आसान काम नहीं है, इसमे बहुत ही मेहनत व लगन की जरुरत होती है. युवा इसे सीखने के लिए मुँहमाँगी कीमत देने को तैयार हैं. यह कुछ – कुछ जिम्नास्ट से मिलता जुलता ही है.
इसकी ट्रेनिंग मिलेट्री की ट्रेनिंग की तरह कठोर होती है, इसमें दौड़ना, चढ़ना, घूमना, कूदना और इसके अलावा भी कई तरह की ट्रेनिंग होती है. कठिन जगहों पर बिना किसी उपकरण के तेजी के साथ इसे करना होता है. आपकी नजर, पकड़ और बैलेंस बिलकुल बन्दर की तरह होना चाहिए जो बिना मिस किये एक दीवार से दूसरी दीवार या एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता है.
Parkour को फ़्रांस में रेमॅण्ड बेले और उनके बेटे डेविड बेले ने अपने मित्रों के साथ मिलकर 1980 में ईजाद किया था. लेकिन इसे पहचान मिली सन 1990 से 2000 के बीच में जब कई हॉलीवुड फिल्मों में इस तरह की कलाकारी को दिखाया गया.
चेतावनी: कृपया इस तरह की कलाकारी को अकेले में करने की चेष्टा न करें. इसमें आपको गंभीर चोट लग सकती है या फिर आपकी मौत भी हो सकती है.
इसे भी देखें: http://parkour.com/