हिंदी कविता – चाहत
छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,
छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.
पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.
छू लो उन गहराइयों को जिनसे तुम्हें मोहब्बत है,
छू लो उन ऊंचाइयों को जिनकी तुम्हें चाहत है.
पा लो उन सच्चाइयों को जिनकी तुमको हसरत है.
सुख दुःख तो ईश्वर का चक्रव्यूह है.
यह मनुष्य के लिए गणित का एक प्रकार से आव्यूह है.
दो पत्तों की है मर्म कथा
जो एक डाल से बिछड़ गए |
विपरीत दिशाओं में जाकर
जाने कैसे वे भटक गए |
थे तड़प रहे, सूखें न कहीं |
उड़ने में बुराई नहीं है, आप भी उड़ें |
लेकिन उतना ही जहाँ से जमीन साफ़ दिखाई देती हो ||
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किससे करूँ शिकवा शिकायत ,
किससे करूँ यारी दोस्ती ,
किससे करूँ नफरत दुश्मनी ,
यहाँ मैं अजनबी हूँ .
मंजिलों के हाल न पूंछो,
अभी तो रास्ते में हूँ .
मंजिलें हैं अभी बहुत दूर ,
अभी तो वक्त लगेगा .
पहला प्यार होता है ,
ईश्वर का दिया हुआ मौका ,
तन मन की बहार की,
निर्मल वयार का सुगन्धित झोंका
इक खुशनुमा लम्हा आकर गुजर गया
क्या हुआ कुछ दूर साथ चले ,
क्या हुआ चलकर विछड़ गए ।
सोचो एक खूबसूरत मोड़ न दे सके
वरना याद आते उम्र भर