यहाँ मैं अजनबी हूँ
किससे करूँ शिकवा शिकायत ,
किससे करूँ यारी दोस्ती ,
किससे करूँ नफरत दुश्मनी ,
किससे करूँ शिकवा शिकायत ,
किससे करूँ यारी दोस्ती ,
किससे करूँ नफरत दुश्मनी ,
मंजिलों के हाल न पूंछो,
अभी तो रास्ते में हूँ .
मंजिलें हैं अभी बहुत दूर ,
अभी तो वक्त लगेगा .
पहला प्यार होता है ,
ईश्वर का दिया हुआ मौका ,
तन मन की बहार की,
निर्मल वयार का सुगन्धित झोंका ,
इक खुशनुमा लम्हा आकर गुजर गया
क्या हुआ कुछ दूर साथ चले ,
क्या हुआ चलकर विछड़ गए ।
अपनी मातृ भाषा की किस तरह धज्जियाँ उड़ाते हैं ये सरकारी नोटिस बोर्ड. क्या आपने गौर किया है इस तरह के नोटिस बोर्ड पर?
एक हमारा देश ही ऐसा है जहां पर सबसे ज्यादा कानून की धज्जियाँ उड़ाने वाले सरकारी और राजनीतिक लोग होते हैं. भ्रष्टाचार का पैसा नीचे से लेकर ऊपर तक बटता है और