सुख और दुःख – बस यही तो है जिंदगी
इस कृषि प्रधान भारत देश को स्वतंत्र हुए साठ साल से भी ज्यादा हो गए हैं लेकिन किसानों की दशा वहीं की वहीं है. किसान तब भी कर्ज में डूबा था और अब भी कर्ज में डूबा है, पहले साहूकारों का, और अब खाद बीज वालों और आढ़तियों का.