ये 10 स्थान अगर अभी नहीं देखे तो फिर कभी नहीं देख पाएंगे
किसी ने ठीक ही कहा है:
सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहाँ?
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहाँ?
लेकिन यहां बात कुछ अलग है क्योंकि जिंदगानी और नौजवानी रही या न रही लेकिन घूम तो सकते ही हैं, लेकिन अगर घूमने वाली जगह ही न रहे तो??
तो आइये हम आपको बताने जा रहे हैं 10 ऐसी जगहों के बारे में जो धीरे – धीरे ख़त्म हो रही हैं और कुछेक वर्षों में ये या तो पूरी तरह ख़त्म हो जाएंगी या फिर उनके अवशेष ही देखने को मिलेंगे.
इसका मुख्य कारण है प्रदूषण. जिसकी वजह से दुनिया का स्वरुप ही बदलता जा रहा है. पहाड़ पिघल रहे हैं, जंगल समाप्त हो रहे हैं और कई जीव प्रजातियां या तो ख़त्म हो गयी हैं या फिर ख़त्म होने की कगार पर आ गयी है.
१. गालापागोस आइलैंड:
12% की दर से टूरिज्म सेक्टर के बढ़ते प्रभाव, होटल, रेस्टॉरेंट और मोटर गाड़ियों की वजह से इन निर्जन वीरान दीपों की खूबसूरती ख़त्म हो रही है. स्मगलिंग द्वारा बाहर से आये हुए जानवर यहां के जीवों और जंगलों को प्रभावित कर रहे हैं. क्रूज शिप द्वारा आये हुए चूहे भी यहां की प्राकृतिक सम्पदा को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
लगभग 9000 तरह के जीव इस दीप और आसपास के समुद्री पानी में रहते हैं.
२. मालदीव:
मालदीव दुनिया के सबसे निचला देश है, जो एशिया के सबसे कम आबादी और क्षेत्रफल वाला है. 1200 दीपों में से लगभग 80% दीप समुद्र तल से 1 मीटर से भी काम ऊँचाई पर हैं जो लगभग 100 साल में समुद्र में डूब सकते हैं. यह समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं की 2008 में यहां के राष्ट्रपति ने भविष्य में यहां के लोगों को बसाने के लिए भारत समेत दूसरे देशों में जमीन खरीदनी शुरू कर दी है.
ग्लोबल वार्मिंग की वजह से समुद्र तल में बढ़ोत्तरी और कोरल ब्लीचिंग की वजह से डूबने के खतरा.
३. ग्रेट बैरियर रीफ:
बढ़ते समुद्री तापमान, जल प्रदूषण और चक्रवातों की वजह से कोरल चट्टानें ख़त्म हो रही हैं और समुद्री पानी के तेजाबीकरण के कारण कोरल (मूंगा) के रंग ख़त्म हो रहा है. ऐसा संभावित है की 8000 साल पुराने ये 60% कोरल रीफ 2030 तक समाप्त हो सकते हैं.
४. वेनिस:
वेनिस पर भी डूबने के खतरा मंडरा रहा है. बढ़ते समुद्र तल की वजह से स्थिति और खतरनाक हो गयी है. हर साल बढ़ रही बाढ़ आने की संख्या भी इसके डूबने के पुख्ता सबूत दे रहे हैं. पिछले 100 सालों में वेनिस 9 इंच समुद्र में डूब चूका है.
५. मृत सागर:
यह दुनिया के सबसे निचला स्थान है जो समुद्र तल से 1388 फ़ीट नीचे है. इसके पानी में आप बिना तैरे भी नहीं डूबेंगे. इसका पानी समुद्र से 10 गुना ज्यादा खारा है. मृत सागर पिछले 40 साल में एक तिहाई रह गया है और 80 फ़ीट सूख गया है. पुराने होटल और रेस्टॉरेंट अब इसके किनारे से 1 किलोमीटर दूर हो गए हैं. इसके पानी के मुख्य श्रोत केवल जॉर्डन नदी है लेकिन आस पास के देशों द्वारा इस नदी के पानी के पानी के अत्यधिक उपयोग की वजह से यहां पर नाम मात्र के पानी आता है, इसलिए ये अगले 50 साल में पूरी तरह सूख जाएगा.
६. ऐल्प्स पर्वत:
यहां का तापमान 1880 से अब तक दो गुना बढ़ चूका है. ऐल्प्स के ग्लेसियर पिघल रहे हैं और इनके 2050 तक पूरी तरह गायब हो जाने की संभावना है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से यहां का तापमान 0.72 डिग्री F हर दस साल में बढ़ रहा है.
७. मेडागास्कर:
मेडागास्कर दुनिया का चौथा सबसे बड़ा आइलैंड है. जंगली वातावरण बुरी तरह से नष्ट हो रहा है जिसकी वजह से यहां के जंगल और जानवर ख़त्म हो रहे हैं. यहां के जंगलों को अगर अभी नहीं बचाया गया तो मेडागास्कर को ख़त्म होने में 35 साल से भी कम समय लगेगा.
८. कांगो बेसिन:
यह ऐमेज़ॉन के बाद दुनिया के दूसरा सबसे बड़ा बरसाती जंगल है जो 13 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां के जंगल दुनिया की 40% ऑक्सीजन के उत्पादन करते हैं. कांगो बेसिन की विशालता का अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं की यह सात देशो की सीमा में फैला हुआ है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगर अभी इसके बचाव की कोशिश नहीं की गयी तो दो तिहाई जंगल और इसके अनोखे पौधे और जानवर 2040 तक ख़त्म हो सकते हैं. अवैध खनन, खेती और गुरिल्ला युद्ध की वजह से 10 मिलियन एकड़ जंगल हर साल ख़त्म हो रहा है.
९. ग्लेशियर नेशनल पार्क:
100 साल पहले तक यहां 150 ग्लेशियर थे लेकिन साल 2005 तक यहां पर केवल 27 ग्लेशियर बचे हैं. और अनुमान है की 2030 तक बचे हुए ग्लेशियर भी गायब हो जाएंगे. ग्लोबल वार्मिंग और पानी व बर्फ की कामी के चलते ये ग्लेशियर नष्ट होने की कगार पर हैं.
१०. ताज महल:
ताज महल के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे. यह हमारे देश का प्रमुख पर्यटन स्थल है. ताज महल 1632 में बनना शुरू हुआ था और 21 साल में पूरा हुआ था. इसे बनाने में 20000 व्यक्ति और 1000 हाथियों की मदद ली गयी थी. इसका मुख्य गुम्बद 35 मीटर ऊंचा है. इसे देखने के लिए 30 से 40 लाख लोग हर साल आगरा आते हैं.
भीड़ और वायु प्रदूषण की वजह से इसके संगमरमर की सफेदी पर पीलेपन की परत चढ़ती जा रही है. कई सौ साल पुरानी इस इमारत पर गिरने के ख़तरा भी मंडरा रहा है. कई जगह पुनर्निर्माण के काम होता रहता है. कई कमरे और मुख्य कब्रें जो मुख्य गुम्बद के नीचे जमीन के अंदर हैं वो पहले से ही बंद किये जा चुके हैं.
हो सकता है इसे अगले 4-5 सालों में ही जनता के लिए बंद कर दिया जाए और सिर्फ दूर से ही देखने की अनुमति प्रदान की जाए.
इस विडियो को देखें:
Image Source: http://mentalfloss.com/