कवितायेंहिंदी साहित्य

मैं अभी रास्ते में हूँ

मंजिलों के हाल पूंछो,

अभी तो रास्ते में हूँ .

मंजिलें हैं अभी बहुत दूर ,

अभी तो वक्त लगेगा .

जब मंजिलें आएँगी,

हाल खुद बयान होंगे.

अभी से कोई हाल पूंछो

अभी तो रास्ते में हूँ.

………………..

………………..

कहीं गिर ना जाऊं ,

इसलिए अभी,

मंजिलों के हाल पूंछो,

अभी तो रास्ते में हूँ……..

(कहानी अभी अधूरी है)

–  सुरेन्द्र मोहन सिंह

Tags

Related Articles

Close

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker