मोदी की मेहनत पर पानी: इनके पास 4.7 करोड़ रुपये के नए नोट कहाँ से आये?

जहां तक दावों का सवाल है तो प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री जेटली दोनों ने नोट बंदी की स्कीम भ्रष्टाचार, काले धन और आतंकवाद पर चोट करने के लिए की थी. इसमें सबसे ज्यादा सपोर्ट भी आम जनता ने किया था. और सबसे ज्यादा कष्ट भी आम जनता ही झेल रही है.

 

पहले बैंकों के बाहर आम जनता पुराने नोट जमा कराने और नोट बदलने के लिए लाइन में लगी रही फिर अपने ही पैसे को बैंकों और एटीएम से दो-दो और चार-चार हजार करके निकालने के लिए अभी तक लाइन में लगी है.

 

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने तो यहां तक कहा है की पैसे की कोई कमी नहीं है और बैंक से 24000 प्रति सप्ताह और एटीएम से 5000 प्रति सप्ताह कैश निकाल सकते हैं.

 

लेकिन सच्चाई सभी को मालूम है, ज्यादातर एटीएम में पैसा ही नहीं डाला जा रहा है, कुछ जगहों पर 2000 के नोट मिलने शुरू हुए हैं, 500 के नोट सिर्फ कुछ गिने चुने एटीएम से मिल रहे हैं. बैंकों की हालात तो और भी बदतर है. सीमित कैश और भारी भीड़ के चलते बहुत कम बैंक ही अपने ग्राहकों को प्रति सप्ताह 24000 रुपये दे पा रहे हैं. ज्यादातर बैंक अधिक से अधिक लोगों को सहूलियत पहुंचाने के लिए 4000 या 6000 रुपये प्रति दिन दे रहे हैं.

 

ऐसे में आतंकवादियों के पास से आये दिन नए नोटों की गड्डियां मिलना व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. रोज पुराने नोटों से ज्यादा नए नोटों की खेप पकडे जाने की खबरे सुनने में आ रही हैं.

 

ताजा मामले में बेंगलुरु में दो लोगों के पास से करीब पांच करोड़ के नए नोट बरामद हुए हैं. इनकम टैक्स वालों में एक इंजिनियर और एक ठेकेदार को 4.7 करोड़ के नए नोटों और 30 लाख के पुराने नोटों के साथ गिरफ्तार किया है. यह अब तक की सबसे ज्यादा नए नोटों के रकम की बरामदगी है. इससे पहले निजामुद्दीन स्टेशन, दिल्ली से एक कार से 27 लाख के नए नोट बरामद हो चुके हैं. इसी तरह पंचकूला हरियाणा से 8 लाख के नए नोट बरामद हो चुके हैं.

 

अब सवाल यह उठता है की इतनी मात्रा में नए नोट बैंको से बाहर कैसे आये. लोग एक-एक पाई को मोहताज हो रहे हैं और बैंककर्मियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचारी अपने काले धन को सफ़ेद करने में कामयाब हो रहे हैं.

 

फोटो साभार: http://indianexpress.com/


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Surendra Rajput

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